कुची हथौड़ा के किस्सा । मनखे मन के हे हिस्सा हथौड़ा ह ताकत जोरय । कुचर-कुचर तारा टोरय । अतकी जड़ कुची ह रहिथे । मया म तारा ले कहिथे मया मोर अंतस धर ले । अपने कोरा मा भर ले जब तारा-चाबी मिलथे । मया म तारा हा खुलथे एक ह जोड़े ला जानय । दूसर टोरे मा मानय लहर-लहर झाड़ी डोले । जब आंधी हा मुँह खोले रूखवा ठाड़े गिर परथे । अकड़न-जकड़न हा मरथे
“बाबा विश्वैश्वर नाथ की महिमा”-अर्जुन दूबे
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(उपरोक्तत आलेख मान्यता के आधार पर मेरे गांव के गाँव के ब्रह्मलीन बाबा
विश्वैश्वर नाथ के प्रति सम्मान सहित संस्मरण है।-प्रोफेसर अर्जुन दूबे) मैं
जिसकी महिमा...
2 हफ़्ते पहले