भाखा गुरतुर बोल तै, जेन सबो ल सुहाय । छत्तीसगढ़ी मन भरे, भाव बने फरिआय ।। भाव बने फरिआय, लगय हित-मीत समागे । बगरावव संसार, गीत तै सुघ्घर गाके । झन गावव अश्लील, बेच के तै तो पागा । अपन मान सम्मान, ददा दाई ये भाखा ।।
छत्तीसगढ़ी काव्य संग्रह आपरेशन एक्के घॉंव भाग-3
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निठुर जोही गवना लेवावन आजा निठुर जोही गवना लेवावन आजा, निठुर जोही गवना
लेवावन आजा, पानी गिरत है रिमझिम रिमझिम, दिन बीतत है गिन गिन। दहकत है
अंगारा मन में, …
1 दिन पहले