नवा बछर तिहार असन, बाॅटय खुशी हजार । ले लव ले लव तुम अपन, दूनों हाथ पसार ।। नवा नवा मा हे भरे, नवा खुशी के आश । छोड़ बात दुख के अपन, मन मा भर बिसवास ।। काली होगे काल के, ओखर बात बिसार । नवा बछर तिहार असन नवा बछर के आय ले, मिटही सब तकलीफ । जेन चोर बदमाश हे, बनही बने शरीफ । काम बुता जब हाथ मा, होही झारा झार । नवा बछर तिहार असन चमकत हे परकाश कस, नवा बछर हा घोर । अंधियार ला मेटही, धरे हवे अंजोर ।। मन मा धर बिसवास तै, अपने काम सवार । नवा बछर तिहार असन
पुस्तक समीक्षा: ”कर्ण हूॅुं मैं” लेखक-श्री पवन प्रेमी जी, समीक्षक-डुमन लाल
ध्रुव
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भावों के अनुभव संसार को, यथार्थ के अन्तश्चेतना काव्य संग्रह – कर्ण हूं मैं
– डुमन लाल ध्रुव राज्य प्रशासनिक सेवा अधिकारी एवं साहित्य के समदर्शी कवि
श्री पव...
13 घंटे पहले