चित्र गुगल से साभार जनउला 1. हाड़ा गोड़ा हे नही, अँगुरी बिन हे बाँह । पोटारय ओ देह ला, जानव संगी काँह ।। 2. कउवा कस करिया हवय, ढेरा आटे डोर । फुदक-फुदक के पीठ मा, खेलय कोरे कोर ।। 3. पैरा पिकरी रूप के, कई कई हे रंग । गरमी अउ बरसात मा, रहिथे मनखे संग ।। 4. चारा चरय न खाय कुछु, पीथे भर ओ चॅूस । करिया झाड़ी मा रहय, कोरी खइखा ठूॅस ।। 5. संग म रहिथे रात दिन, जिनगी बनके तोर । दिखय न आँखी कोखरो, तब ले ओखर सोर ।। 6. हाथ उठा के कान धर, लहक-लहक के बोल । मया खड़े परदेश मा, बोले अंतस खोल ।। 7. बिन मुँह के ओ बोलथे, दुनियाभर के गोठ । रोज बिहनिया सज सवँर, घर-घर आथे पोठ ।। 8. मैं लकड़ी कस डांड अंव, खंड़-खंड़ मोरे पेट । रांधे साग चिचोर ले, देके मोला रेट ।। 9. खीर बना या चाय रे, मोर बिना बेकार । तोरे मुँह के स्वाद अंव, मोरे नाव बिचार ।। 10. मोरे पत्ता फूल फर, आय साग के काम । मै तो रटहा पेड़ हंव, का हे मोरे नाम ।। 11. फरय न फूलय जान ले, पत्ता भर ले काम । जेखर बहुते शान हे, का हे ओखर नाम ।। 12. नॉंगर-बइला हे नहीं, तभो ...