आॅंखी सपना तै सजा, अपन भाग झन कोस । चमक दमक रख चेहरा, मन मा भर ले जोष ।। मन मा भर ले जोश, काम दम भर कर ले । भाग करम के दास, अपन तै मुठ्ठी भर ले ।। छू ले बादर आज, खोल के डेना पांखी । दुनिया होही तोर, देख ले खोले आंखी ।।
पुस्तक: मानसिक शक्ति-स्वामी शिवानंद
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मानसिक शक्ति THOUGHT POWER का अविकल रूपान्तर लेखक श्री स्वामी शिवानन्द
सरस्वती
3 माह पहले