संगी चल चल खेत मा, बोये बर गा धान । राग पाग सुघ्घर लगत, कहत हवंय किसान ।। कहत हवय किसान, हाथ बइला मा फेरत। धरे बीजहा धान, दुवारी मा नागर हेरत ।। भरही कइसे पेट, करे मा आज लफंगी । आज कमा के काल, खाय ला पाबो संगी ।।
पुस्तक: मानसिक शक्ति-स्वामी शिवानंद
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मानसिक शक्ति THOUGHT POWER का अविकल रूपान्तर लेखक श्री स्वामी शिवानन्द
सरस्वती
3 माह पहले