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संदेश

कतका झन देखे हें-

संगी चल चल खेत मा

संगी चल  चल खेत मा, बोये बर गा धान । राग पाग सुघ्घर लगत, कहत हवंय किसान ।। कहत हवय किसान, हाथ बइला मा फेरत। धरे बीजहा धान, दुवारी मा नागर हेरत ।। भरही कइसे पेट, करे मा आज लफंगी । आज कमा के काल, खाय ला पाबो संगी ।।

कुछ मत मिले हराम

भला-बुरा तै सोच के, करले अपने काम । बिगड़य झन कुछु कोखरो, कुछ मत मिले हराम ।। कुछ मत मिले हराम,  कमा ले जांगर टोरे । दूसर के कुछु दोस, ताक मत आंखी बोरे ।। अपने अंदर झांक, नेकि के हवस खुरा तै । करले सुघ्घर काम, सोच के भला-बुरा तै ।।

साफ बोले मा हे बुराई का

आदरणीय सौरभ पाण्ड़े के भोजपुरी गजल ‘‘साफ़ बोले में बा हिनाई का ? काहें बूझीं पहाड़-राई का ? ‘‘ के छत्तीसगढ़ी मा अनुवाद - ------------------------------- साफ बोले मा हे बुराई का ? डबरा डिलवा हवय बताई का ?? रात दिन मा मितानी हे कइसन ? धंधा पानी मा भाई-भाई का ?? सब इहां तो हवय सुवारथ मा ? होय मा हमरे जग हसाई का ?? चंदा ला घेरे हे गा चंदैनी, कोनो इंहा सभा बलाई का ?? आज साहित्य के मुनाफा का ? ददरिया करमा गीत गाई का ?? जब मुठा के पकड़ बताना हे, फेर ये हाथ अउ कलाई का ?? खुदकुसी के हुनर मा माहिर हम, फेर का कामना, बधाई का ? कोखरो मुॅंह मा खून जब लागय, जानथन ऐखरे दवाई का ??

पुरखा के ये साधना

जुन्ना जुन्ना गोठ ला, खरा सोन तै जान । पुरखा के ये साधना, साधे सबो सियान ।। साधे सबो सियान, जिंनगी अपन उतारे । सुख-दुख के सब काम, सबो झन बने सवारे ।। कह ‘रमेश्‍ा‘ कवि राय, गोठ सुन मोरे मुन्ना । अजमा के तैं देख, गोठ हे सुघ्घर जुन्ना ।। जेन सहय रे आॅच ला, खाय तेन हर पाॅंच । खुल्ला किताब हाथ मा, लेवा कोनो बाॅच ।। लेवा कोनो बाॅच, जगत के येही सच हे । सहे जेन तकलीफ, आज ओही हा गच हे ।। जीवन एक सवाल, सियाने मन इहां कहय रे । उत्तर देथे पोठ, आदमी जेन सहय रे ।।

काम कोने हर आथे

आथे अलहन सांय ले, धर के कोनो रंग । दू पइसा रख हाथ मा, बेरा मा दै संग ।। बेरा मा दै संग, ददा दाई तो बनके । पइसा बन भगवान, संग देही जी तन के ।। कह ‘रमेश‘ कविराय, सबो ला पइसा भाथे । जग मा पइसा छोड़, काम कोने हर आथे ।।

मोरे मन के पीर

देखत तो रहिगेंव मैं, वो सपना दिन रात । गोठियावंव का अपन, सपना के वो बात ।। सपना के ओ बात, गीत मोरे कब बनगे । मोरे मन के पीर, गीत मा कइसे ढल गे ।। गोहरात रहिगेंव, आंसु आंखी के पोछत । अक्केल्ला मत छोड़, तभो गय मोला देखत ।।

हिम्मत कतका तोर हे

हिम्मत कतका तोर हे, लड़थस दूसर संग । बात बात मा तै करे, दूसर ला बड़ तंग ।। दूसर ला बड़ तंग, करे बड़ गलती देखे । दउड़े पीसे दांत, हाथ मा लाठी लेके । बारी अपने देख, करे तैं कतका किम्मत । अपने गलती देख, हवय गर तोरे हिम्मत ।।

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