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संदेश

कतका झन देखे हें-

भारत माता तोर तो, परत हवन हम पांव

भारत माता तोर तो, परत हवन हम पांव । देवत रहिबे जियत भर, सुख अचरा के छांव ।। सुख अचरा के छांव, हमर मुड़ ढांके रहिबे । हमन हवन नादान, हमर गलती का कहिबे ।। कोरा मा हन तोर, हमर रखबे तैं बाता । लइका हन हम तोर, हमर तैं भारत माता । महतारी तैं तो हवस, सुख षांति के खान । कहां सृष्टि मा अउ हवय, तोरे असन महान ।। तोरे असन महान, जिहां जमुना गंगा हे । कहां हिमालय चोटि , जिहां कंचन जंगा हे ।। राम रहिम इक संग, करत तो हे बलिहारी ।। करत हवे जयकार, तोर जय हो महतारी ।। तोरे सेवा ला करत, जेन होय कुर्बान । लड़त लड़त तोर बर, गवाय जेन परान ।। गवाय जेन परान, वीर सेना के सेनानी । अइसन तोर सपूत, जेन दे हे कुर्बानी ।। सबो शहिद के पांव, परत हन हाथे जोरे । माथा अपन मढ़ाय, पांव मा दाई तोरे ।।

सुन सुन ओ पगुराय

धर मांदर संस्कार के, तैं हर ताल बजाय । भइसा आघू बीन कस, सुन सुन ओ पगुराय ।। सुन सुन ओ पगुराय, निकाले बोजे चारा । दूसर बाचा मान, खाय हे ओ हर झारा ।। परदेषिया भगाय, हमर पुरखा हा मर मर । ओमन मेछरावत, ऊंखरे बाचा ला धर ।।

ठाने हन हम छोकरी

दुरगा चण्ड़ी के देस मा, नारी हवय महान । करत हवे सब काम ला, अबला झन तैं जान ।। अबला झन तैं जान, पुरूस ले अब का कम हे । देख ओखरे काम, पुरूस जइसे तो दम हे ।। धरती ले आगास, जेन लहराये झण्ड़ी । सेना पुलिस काम, करे बन दुरगा चण्ड़ी ।।  ठाने हन हम छोकरी, करना हे हर काम । माने जेला छोकरा, केवल अपने नाम ।। केवल अपने नाम, जगत मा हे अब करना । नई हवे मंजूर, पांव के दासी रहना ।। चार दुवारी छोड़, जगत ला अपने माने । कठिन कठिन हर काम, करे बर हम तो ठाने ।।

ना नर गरू ना नार

नारी ले नर होत हे, नर ले होये नार । नर नारी के मेल ले, बसे हवे संसार ।। बसे हवे संसार, कदर हे एक बराबर । ना नर गरू ना नार, अहम के झगरा काबर ।। अहम वहम तैं मेट, मया ला करके भारी । नारी बिन ना मर्द, मर्द बिन ना नारी ।। 

राम कथा -राम मनखे काबर बनीस

मनखे मनखे सब सुनय, राम कथा मन लाय । कहय सुनय हर गांव मा, मनखे मन हरसाय ।। मनखे मन हरसाय, राम के महिमा सुन सुन । जागे एक सवाल, मोर मन मा तो सिरतुन ।। खोजव बने जवाब, जेन जाने हव तनके । भवसागर मा राम, बने हे काबर मनखे ।। हेतु अनेका जनम के, कोनो कहय विचार । विप्र धेनु अरू संत हित, लिन्ह मनुज अवतार ।। लिन्ह मनुज अवतार, विजय जय ला तारे बर । मेटे बर तो पाप, रावणे ला मारे बर ।। नारद के ओ श्राप, घला हा बने लपेटा । काला कहि हम ठोस, जनम के हेतु अनेका ।। सतजुग त्रेता के कथा, तैं हर सबो सुनाय । कलजुग मा का काम के, कारण जेन बताय ।। कारण जेन बताय, देख ओला आंखी ले । चलत हवे विज्ञान, खोजथे सब साखी ले ।। येही जुग के नाम, हवय गा पापी कलजुग । खाय तभे पतिआय,  कहां बाचे हे सतजुग ।। मरयादा ला राम हा, जी  के तो देखाय । जइसे के विज्ञान हा, कारण देत जनाय ।। कारण देत जनाय, बने ओ काबर मनखे । मनखे के मरजाद, बनाये हे छन छन के ।। कसे कसौटी देख, राम के हर वादा । मनखे कइसे होय, होय कइसे  मरयादा ।। कारण केवल एक हे, जेखर बर ओ आय । मनखे बन भगवान हा, मनखे ला सीखाय ।। मनखे ला सीखाय, होय मनखे

बुड्ती हा लागत हे उत्ती

बुड़ती ले उत्ती डहर, चलत हवे परकास । भले सुरूज उत्ती उगय, अंतस धरे उजास । अंतस धरे उजास, कोन झांके हे ओला । आंखी आघू देख, सबो बदले हे चोला ।। चले भेडि़या चाल, बिसारे अपने सुरती । उत्ती ला सब छोड़, देखथे काबर बुड़ती ।। जेती ले निकले सुरूज, ऊंहा होय बिहान । बुड़े जिहां जाके सुरूज, रतिहा ऊंहा जान ।। रतिहा ऊंहा जान, जिहां सब बनावटी हे । चकाचैंध के घात, चीज सब सजावटी हे ।। पूछत हवे ‘रमेश‘,  तुमन जाहव गा केती । सिरतुन होय उजास, सुरूज हा होथे जेती ।। उत्ती के बेरा सुरूज, लगथे कतका नीक । उवत सुरूज ला देख के, आथे काबर छीक ।। आथे काबर छीक, करे कोनो हे सुरता । जींस पेंट फटकाय, छोड़ के अपने कुरता ।। सुरूज ढले के बाद, जले हे दीया बत्ती । बुड़ती नजर जमाय, खड़े काबर हे उत्ती ।।

दाई बेटा ले कहे

दाई बेटा ले कहे, तैं करेजा हस मोर । जब बेटा हा बाढ़ गे, सपना ला दिस टोर ।। सपना ला दिस टोर, आन ला जिगर बसाये । छोड़े घर परिवार, जवानी अपन देखाये ।। सुन लव कहे ‘रमेश‘, सोच के करव सफाई । दुनिया के भगवान, तोर बर तोरे दाई ।।

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