भारत माता तोर तो, परत हवन हम पांव ।
देवत रहिबे जियत भर, सुख अचरा के छांव ।।
सुख अचरा के छांव, हमर मुड़ ढांके रहिबे ।
हमन हवन नादान, हमर गलती का कहिबे ।।
कोरा मा हन तोर, हमर रखबे तैं बाता ।
लइका हन हम तोर, हमर तैं भारत माता ।
महतारी तैं तो हवस, सुख षांति के खान ।
कहां सृष्टि मा अउ हवय, तोरे असन महान ।।
तोरे असन महान, जिहां जमुना गंगा हे ।
कहां हिमालय चोटि , जिहां कंचन जंगा हे ।।
राम रहिम इक संग, करत तो हे बलिहारी ।।
करत हवे जयकार, तोर जय हो महतारी ।।
तोरे सेवा ला करत, जेन होय कुर्बान ।
लड़त लड़त तोर बर, गवाय जेन परान ।।
गवाय जेन परान, वीर सेना के सेनानी ।
अइसन तोर सपूत, जेन दे हे कुर्बानी ।।
सबो शहिद के पांव, परत हन हाथे जोरे ।
माथा अपन मढ़ाय, पांव मा दाई तोरे ।।
देवत रहिबे जियत भर, सुख अचरा के छांव ।।
सुख अचरा के छांव, हमर मुड़ ढांके रहिबे ।
हमन हवन नादान, हमर गलती का कहिबे ।।
कोरा मा हन तोर, हमर रखबे तैं बाता ।
लइका हन हम तोर, हमर तैं भारत माता ।
महतारी तैं तो हवस, सुख षांति के खान ।
कहां सृष्टि मा अउ हवय, तोरे असन महान ।।
तोरे असन महान, जिहां जमुना गंगा हे ।
कहां हिमालय चोटि , जिहां कंचन जंगा हे ।।
राम रहिम इक संग, करत तो हे बलिहारी ।।
करत हवे जयकार, तोर जय हो महतारी ।।
तोरे सेवा ला करत, जेन होय कुर्बान ।
लड़त लड़त तोर बर, गवाय जेन परान ।।
गवाय जेन परान, वीर सेना के सेनानी ।
अइसन तोर सपूत, जेन दे हे कुर्बानी ।।
सबो शहिद के पांव, परत हन हाथे जोरे ।
माथा अपन मढ़ाय, पांव मा दाई तोरे ।।
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें