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संदेश

कतका झन देखे हें-

जय जय गुरूदेवा

जय जय गुरूदेवा, तोरे सेवा, करे जगत हा, पाँव धरे । गुरू तहीं रमेशा, तहीं महेशा, ब्रम्हा तहीं बन, जगत भरे ।। सद्गुरू पद पावन, पाप नशावन, दया जेखरे, पाप मिटे। गुरू के हे दाया, टूटे माया, मोह फाँस ले, शिष्य छुटे ।।

कविता

उभरे जब प्रतिबिम्ब हा, धर आखर के रूप । देखावत दरपण असन, दुनिया के प्रतिरूप ।। दुनिया के प्रतिरूप, दोष गुण ला देखाये । कइसे हवय समाज, समाजे ला बतलाये ।। सुनलव कहय ‘रमेश‘, शब्द जब घाते निखरे । मन के उपजे भाव, तभे कविता बन उभरे ।।2।।

दोहा-ददरिया

नायक हसिया धर कांदी लुये, तैं हर धनहा पार । गोई तोला देख के, आवत हवे अजार ।।   नायिका जा रे बिलवा भाग तैं, काबर आये हस पार । आवत हे मोरे ददा, पहिलि खुद ल सम्हार ।। नायक तोर मया ला पाय के, सुध बुध मैं भूलाय । काला संसो अउ फिकर, चाहे कोनो आय ।। नायिका धरे हवे लाठी ददा, आवत हाथ लमाय । छोड़ चटहरी भाग तैं, देही सबो भूलाय ।। नायक मया उलंबा होय हे, कहां हवे डर यार । तोला मे हर पाय बर, आय हवॅव ये पार ।।   नायिका जा जा जोही भाग तैं, तोरे मया अपार । तोरे घर ला मैं धनी, कर लेहूं ससुरार

कलाम ला सलाम

सुनले आज कलाम के, थोकिन तैं हर गोठ । जेन करे हे देश बर, काम बने तो पोठ ।। काम बने तो पोठ, करे हे ओ हमरे बर । बने मिसाइल मेन, बने ओ हमरे रहबर ।। षिक्षक बने महान,  ओखरे शिक्षा चुनले । हमरे भारत रत्न, रहिस शिक्षाविद सुुनले ।।         -रमेश चौहान

मुड धर कविता रोय

स्रोता बकता देख के, मुड धर कविता रोय । सुघ्घर कविता के मरम, जानय ना हर कोय ।। जानय ना हर कोय, अपन ओ जिम्मेदारी । दूअरथी ओ बोल, देत मारे किलकारी ।। ओखर होथे नाम, जेन देथे बड़ झटका । सुनत हवे सब हाॅस, मंच मा स्रोता बकता । आनी बानी गोठ कर, देखावत हे ठाठ एक गांठ हरदी धरे, मुसवा बइठे हाठ ।। मुसवा बइठे हाठ, भीड़ ला बने सकेले । जेखर बल ला पाय, होय बइला हूबेले ।। छटे सबो जब भीड़, फुटय ना मुॅह ले बानी । एके ठन हे गांठ, कहां हे आनी बानी ।। जइसे ओखर नाम हे, दिखे कहां हे काम । कड़हा कड़हा बेच के, पूरा मांगे दाम ।। पूरा मांगे दाम, अपन लेवाल ल पाये । मिलावटी हे झार, तभो सबला भरमाये ।। चिन्हे ना सब सोन, सोन पालिस हे कइसे । बेचे से हे काम, बेचा जय ओहर जइसे ।।

भारत माता तोर तो, परत हवन हम पांव

भारत माता तोर तो, परत हवन हम पांव । देवत रहिबे जियत भर, सुख अचरा के छांव ।। सुख अचरा के छांव, हमर मुड़ ढांके रहिबे । हमन हवन नादान, हमर गलती का कहिबे ।। कोरा मा हन तोर, हमर रखबे तैं बाता । लइका हन हम तोर, हमर तैं भारत माता । महतारी तैं तो हवस, सुख षांति के खान । कहां सृष्टि मा अउ हवय, तोरे असन महान ।। तोरे असन महान, जिहां जमुना गंगा हे । कहां हिमालय चोटि , जिहां कंचन जंगा हे ।। राम रहिम इक संग, करत तो हे बलिहारी ।। करत हवे जयकार, तोर जय हो महतारी ।। तोरे सेवा ला करत, जेन होय कुर्बान । लड़त लड़त तोर बर, गवाय जेन परान ।। गवाय जेन परान, वीर सेना के सेनानी । अइसन तोर सपूत, जेन दे हे कुर्बानी ।। सबो शहिद के पांव, परत हन हाथे जोरे । माथा अपन मढ़ाय, पांव मा दाई तोरे ।।

सुन सुन ओ पगुराय

धर मांदर संस्कार के, तैं हर ताल बजाय । भइसा आघू बीन कस, सुन सुन ओ पगुराय ।। सुन सुन ओ पगुराय, निकाले बोजे चारा । दूसर बाचा मान, खाय हे ओ हर झारा ।। परदेषिया भगाय, हमर पुरखा हा मर मर । ओमन मेछरावत, ऊंखरे बाचा ला धर ।।

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