जय जय गुरूदेवा, तोरे सेवा, करे जगत हा, पाँव धरे । गुरू तहीं रमेशा, तहीं महेशा, ब्रम्हा तहीं बन, जगत भरे ।। सद्गुरू पद पावन, पाप नशावन, दया जेखरे, पाप मिटे। गुरू के हे दाया, टूटे माया, मोह फाँस ले, शिष्य छुटे ।।
छत्तीसगढ़ी म भागवत कथा भाग-6.परिक्षित के गर्भ मा रक्षा
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‘छत्तीसगढ़ी म भागवत कथा’ एक महाकाव्य के रूप म लिखे जात हे ऐला धीरे-धीरे
कई भाग म प्रकाशित करे जाही । एला श्रीमद्भागवत अउ सुखसागर आधार ग्रंथ ले के
छत्तीस...
5 दिन पहले