नायक
हसिया धर कांदी लुये,
तैं हर धनहा पार ।
गोई तोला देख के,
आवत हवे अजार ।।
नायिका
जा रे बिलवा भाग तैं,
काबर आये हस पार ।
आवत हे मोरे ददा,
पहिलि खुद ल सम्हार ।।
नायक
तोर मया ला पाय के,
सुध बुध मैं भूलाय ।
काला संसो अउ फिकर,
चाहे कोनो आय ।।
नायिका
धरे हवे लाठी ददा,
आवत हाथ लमाय ।
छोड़ चटहरी भाग तैं,
देही सबो भूलाय ।।
नायक
मया उलंबा होय हे,
कहां हवे डर यार ।
तोला मे हर पाय बर,
आय हवॅव ये पार ।।
नायिका
जा जा जोही भाग तैं,
तोरे मया अपार ।
तोरे घर ला मैं धनी,
कर लेहूं ससुरार
हसिया धर कांदी लुये,
तैं हर धनहा पार ।
गोई तोला देख के,
आवत हवे अजार ।।
नायिका
जा रे बिलवा भाग तैं,
काबर आये हस पार ।
आवत हे मोरे ददा,
पहिलि खुद ल सम्हार ।।
नायक
तोर मया ला पाय के,
सुध बुध मैं भूलाय ।
काला संसो अउ फिकर,
चाहे कोनो आय ।।
नायिका
धरे हवे लाठी ददा,
आवत हाथ लमाय ।
छोड़ चटहरी भाग तैं,
देही सबो भूलाय ।।
नायक
मया उलंबा होय हे,
कहां हवे डर यार ।
तोला मे हर पाय बर,
आय हवॅव ये पार ।।
नायिका
जा जा जोही भाग तैं,
तोरे मया अपार ।
तोरे घर ला मैं धनी,
कर लेहूं ससुरार
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