सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

संदेश

कतका झन देखे हें-

चरण पखारॅंव तोर प्रभु

चरण पखारॅंव तोर प्रभु, श्रद्धा भेट चढाय । तोरे मूरत ला अपन, हिरदय रखॅव मढाय ।। हाथी जइसे मुॅह हवय, सूपा जइसे कान । हउला जइसे पेट हे, लइका के भगवान ।। तोरे अइसन रूप हा, तोर भगत ला भाय । चरण पखारॅंव तोर प्रभु.... सहज सरल तो तैं हवस, सब ला देत अषीश । लइका मन तोला अपन, संगी कर डारीष ।। लाये तोरे मूरती, घर-घर मा पघराय । चरण पखारॅंव तोर प्रभु... जम्मो बाधा मेटथस, पाय भगत गोहार । कारज के षुरूवात मा, करथन तोर पुकार ।। विघ्न हरन तब तो जगत, तोरे नाम धराय । चरण पखारॅंव तोर प्रभु..... ...©-रमेश चौहान

आजा मोरे अंगना, हे गणपति गणराज

आजा मोरे अंगना, हे गणपति गणराज । गाड़ा गाड़ा नेवता, तोला हे महराज ।। भादो के महिना हवय, अउ अंजोरी पाख । तोर जनम दिन के बखत, दया मया ले ताख ।। तोरे जस हम गात हन, सुन ले प्रभु आवाज । आजा मोरे अंगना... तीन लोक चउदा भुवन, करे ज्ञान परकास । तही बुद्वि दाता हवस, हवे जगत ला आस । विघ्न हरण मंगल करण, कर दे पूरा काज । आजा मोरे अंगना... नान नान लइका हमन, तोर चरण मा जाय । करबो पूजा आरती, मोदक भोग लगाय ।। मूरख अज्ञानी हवन, रख दे हमरे लाज । आजा मोरे अंगना... गली गली हर गांव मा, तोरे हे जयकार । मूषक वाहन साज के, सजा अपन दरबार ।। अपन भगत के मान रख, होवय तोरे नाज । आजा मोरे अंगना...

अब तो बांटा तोर हे

शान रहिस जे काल के, रहिस हमर पहिचान । नंदावत वो चीज मा, कइसे डारी जान ।। कतको बरजे डोकरा, माने नही जवान । जुन्ना डारा छोड़ के, टूटथे नवा पान ।। गोठ नवा जुन्ना चलय, जइसे के दिन रात । अपन अपन हा पोठ हे, जेखर सुन ले बात ।। दुनिया के बदलाव ला, आँखी खोल निटोर । ओही चंदा अउ सुरूज, ओही धरती तोर ।। अपन रीति रिवाज धरे, पुरखा आय हमार । अब तो बांटा तोर हे, ऐला तैं सम्हार ।।

नोनी के दाई अभी

नोनी के दाई अभी, गे हे मइके गाॅंव । मोरे बारा हाल हे, कोने हाल बताॅंव ।। तीजा पोरा नेंग हा, अलहन लागे झार । चूल्हा चउका के बुता, देथे मोला मार ।। भड़वा बरतन मांज के, अपन आंसू बोहाॅव । नोनी के दाई अभी... कभू भात गिल्ला बनय, कभू जरय गा माढ़ । साग बनय ना तो कभू, झोरे लगय असाढ़ ।। अपने मन ला मार के, अदर-कचर मैं खाॅंव । नोनी के दाई अभी... बड़ सुन्ना घर-बार हे, चाबे भिथिया आज । अपने घर आने लागे, कहत आत हे लाज ।। सांय-सांय अंतस करय, मन ला कहां लगांव । नोनी के दाई अभी... कहूं होतीस मोर गा, कोनो बहिनी एक । तीजा हा मोला तभे, लागतीस गा नेक ।। बिन बहिनी के ये दरद, काला आज बताॅंव । नोनी के दाई अभी...

डहत हवे गा बेंदरा

डहत हवे गा बेंदरा, कूद कूद अतलंग । खपरा परवा छानही, दिखत हवय बदरंग ।। तरई आंजन छानही, खपरा गे सब फूट । लड़त हवे गा हूड़का, एक दूसर म टूट ।। मोठ डाठ हे ओ दिखत, कतका दिखत मतंग । डहत हवे गा बेंदरा... बारी बखरी मैदान हे, खेले जिहां घुलंड । दरबर दरबर आय के, बने हवें बरबंड ।। देखव ईंखर काम हा, लगत हवे बड़बंग । डहत हवे गा बेंदरा... (बरबंड-पहलवान, बडबंग-बेढंगा) थक गे सब रखवार हा, इहां बेंदरा भगात । चारे दिन के चांदनी, फेर कुलूपे रात ।। सोचय कुछु सरकार हा, कइसे बदलय ढंग । डहत हवे गा बेंदरा... जंगल झाड़ी काट के, मनखे करे कमाल । रहय कहां अब बेंदरा, अइसन हे जब हाल ।। छाती मा ओ कूद के, लड़त हवे ना जंग । डहत हवे गा बेंदरा...

तीजा पोरा आत हे

तीजा पोरा आत हे, आही नोनी मोर । घर अंगना हा नाचही, नाचही गली खोर ।। लइकापन मा खेल के, सगली भतली खेल । पुतरा पुतरी जोर के, करे रहिस ओ मेल ।। ओखर दीया चूकिया, राखे हंव मैं जोर । तीजा पोरा आत हे.... जुन्ना जुन्ना फ्राक अउ, ओखर पेन किताब । धरे संदूक हेर के, बइठे करंव हिसाब ।। आगू पाछू ओ करय, धर धोती के छोर । तीजा पोरा आत हे.... नार करेला बाढ़ के, होथे जस छतनार । कोरा के बेटी घलो, चल देथे ससुरार ।। होय करेजा हा सगा, कहे करेजा मोर । तीजा पोरा आत हे.... दुनिया के ये रीत मा, बंधे हे संसार । नाचत गावत तो रहंय, लइका सबो हमार ।। परब परब मा आय के, तृष्णा ला दैं टोर । तीजा पोरा आत हे....

बादर बैरी तैं कहां

बादर बैरी तैं कहां, मुॅह ला अपन लुकाय । कइसे तैं आसों भला, भादों मा तड़पाय ।। काबर तैं गुसिआय हस, आज कनेखी देख । उमड़-घुमड़ तैं आय के, रूके नही पल एक ।। भादों के ये भोमरा, बने जेठ भरमाय ।। बादर बैरी तैं कहां..... धनहा के छाती फटे, मुड़ धर रोय किसान । नरवा मन पटपर हवय,  अटके अधर म जान ।। पानी के हर बूंद हा, तोरे कोख समाय ।। बादर बैरी तैं कहां..... काबर बिट्टोवत हवस, पर तो जही दुकाल । काबर हमरे संग मा, खेले छू-छूवाल ।। तोर रिसाये ले जगत, हमला कोन बचाय । बादर बैरी तैं कहां..... सुन ले अब गोहार ला, गुस्सा अपनेे छोड़ । माफी मांगत हन हमन, अपन हाथ ला जोड़ ।। रद्-रद् पानी अब बरस, जड़-जीवन हरसाय । बादर बैरी तैं कहां.....

मोर दूसर ब्लॉग