शान रहिस जे काल के, रहिस हमर पहिचान ।
नंदावत वो चीज मा, कइसे डारी जान ।।
कतको बरजे डोकरा, माने नही जवान ।
जुन्ना डारा छोड़ के, टूटथे नवा पान ।।
गोठ नवा जुन्ना चलय, जइसे के दिन रात ।
अपन अपन हा पोठ हे, जेखर सुन ले बात ।।
दुनिया के बदलाव ला, आँखी खोल निटोर ।
ओही चंदा अउ सुरूज, ओही धरती तोर ।।
अपन रीति रिवाज धरे, पुरखा आय हमार ।
अब तो बांटा तोर हे, ऐला तैं सम्हार ।।
नंदावत वो चीज मा, कइसे डारी जान ।।
कतको बरजे डोकरा, माने नही जवान ।
जुन्ना डारा छोड़ के, टूटथे नवा पान ।।
गोठ नवा जुन्ना चलय, जइसे के दिन रात ।
अपन अपन हा पोठ हे, जेखर सुन ले बात ।।
दुनिया के बदलाव ला, आँखी खोल निटोर ।
ओही चंदा अउ सुरूज, ओही धरती तोर ।।
अपन रीति रिवाज धरे, पुरखा आय हमार ।
अब तो बांटा तोर हे, ऐला तैं सम्हार ।।
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