सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

संदेश

कतका झन देखे हें-

शिरड़ी के सांई कहय......

शिरड़ी के सांई कहय, सबके मालिक एक । जात धरम काहीं रहय, मनखे होवय नेक ।। सांई दीनानाथ हे, सच्चा संत फकीर । मनखे के सेवा करय, मेटे सबो लकीर ।। अइसन दीनानाथ के, करलव जी अभिशेक । शिरड़ी के सांई कहय...... मनखे के संतान हे, हिन्दू अउ इस्लाम । मनखे के अल्ला खुदा, मनखे के हे राम ।। काबर कोनो फेर तो, डगर खड़े हे छेक । शिरड़ी के सांई कहय.... मनखे के पीरा हरय, सबके सांई नाथ। भूख बिमारी मेट के, सबला करय सनाथ ।। मानव ओखर बात ला, अपने माथा टेक । शिरड़ी के सांई कहय....

शक्ति हमला दे अतका

हे गुरू घासीदास, शक्ति हमला दे अतका । छोर सकी सब गांठ़, परे हे मन मा जतका ।। हे गुरू घासीदास, शक्ति हमला दे अतका । छोर सकी सब गांठ़, परे हे मन मा जतका ।। बैरी हे मन मोर, बइठ माथा भरमाथे । डगर झूठ के छांट, हाथ धर के रेंगाथे ।। अइसन करव उपाय, छूट जय ऐखर झटका । हे गुरू घासीदास, शक्ति हमला दे अतका ।। सत के रद्दा तोर, परे जस पटपर भुइया । कइसे रेंगंव एक, दिखे ना एको गुइया ।। परे असत के फेर, खात हन हम तो भटका । हे गुरू घासीदास, शक्ति हमला दे अतका ।। मन मंदिर मा तोर, एक मूरत दे अइसन । जिहां बसे हे झार, असत मन हा तो कइसन ।। मर जावय सब झूठ, पाय मूरत के रचका । हे गुरू घासीदास, शक्ति हमला दे अतका ।।

गांव बसे हमरे दिल मा

गांव बसे हमरे दिल मा हम तो लइका अन एखर संगी । गांवन मा सबके ममता मिलथे कुछु बात म होय न तंगी ।। जोतत नागर खेत किसान धरे मुठिया कहिथे त तता जी । खार अऊ परिया बरदी म चरे गरूवा दिखथे बढि़या जी ।।

हर काम हा सरकार के

हर बात के गलती दिखे, जनतंत्र मा सरकार के । अधिकार ला सब जानथे,  अउ मांगथे ललकार के ।। कर्तव्य ला जनता कभू, अपने कहां कब मानथे । हर काम हा सरकार के, अइसे सबो झन जानथे ।। -रमेश चौहान

जय होय भारत देश के

जय होय भारत देश के, जनमे जिहां भगवान हे । धरती ह पावन हे जिहां, मनखे घलो ह महान हे ।। नदियां हवे कतका इहां, नरवा घला मन शान हे । पथरा  घला हमला लगे, जइसे बने भगवान हे ।

मनखे हमी मन आन गा

अपने सही समझे कभू, मनखे बने मनखे सही । अपने च मा कतका रमे, सबला भुलाय रखे तही ।। चिरई घलो करथे बने, अपने च खातिर काम गा । करले कुछु मनखे सही, मनखे हमी मन आन गा ।।

जय बोलव सतनाम के...

जय बोलव सतनाम के, जय जय जय सतनाम । जय हो घासीदास के, जय जय जय जतखाम ।। सतगुरू अउ सतनाम के, करथे जेने जाप । छूट जथे हर बात के, ओखर तो संताप ।। बाबा के सत मा बनय, बिगड़े तोरे काम । जय बोलव सतनाम के... जीवन मा भर सादगी, झूठ लबारी छोड । लोभ मोह के बंधना, तिनका जइसे तोड़ ।। बाबा के आदेश ला, धर के आठो याम । जय बोलव सतनाम के... केवल पूजा पाठ ले, होय नही उद़धार । सत के रद्दा रेंग के, अपने करम सुधार ।। एक करम तो सार हे, करत रहव सत काम । जय बोलव सतनाम के...

मोर दूसर ब्लॉग