शिरड़ी के सांई कहय, सबके मालिक एक ।
जात धरम काहीं रहय, मनखे होवय नेक ।।
सांई दीनानाथ हे, सच्चा संत फकीर ।
मनखे के सेवा करय, मेटे सबो लकीर ।।
अइसन दीनानाथ के, करलव जी अभिशेक । शिरड़ी के सांई कहय......
मनखे के संतान हे, हिन्दू अउ इस्लाम ।
मनखे के अल्ला खुदा, मनखे के हे राम ।।
काबर कोनो फेर तो, डगर खड़े हे छेक । शिरड़ी के सांई कहय....
मनखे के पीरा हरय, सबके सांई नाथ।
भूख बिमारी मेट के, सबला करय सनाथ ।।
मानव ओखर बात ला, अपने माथा टेक । शिरड़ी के सांई कहय....
जात धरम काहीं रहय, मनखे होवय नेक ।।
सांई दीनानाथ हे, सच्चा संत फकीर ।
मनखे के सेवा करय, मेटे सबो लकीर ।।
अइसन दीनानाथ के, करलव जी अभिशेक । शिरड़ी के सांई कहय......
मनखे के संतान हे, हिन्दू अउ इस्लाम ।
मनखे के अल्ला खुदा, मनखे के हे राम ।।
काबर कोनो फेर तो, डगर खड़े हे छेक । शिरड़ी के सांई कहय....
मनखे के पीरा हरय, सबके सांई नाथ।
भूख बिमारी मेट के, सबला करय सनाथ ।।
मानव ओखर बात ला, अपने माथा टेक । शिरड़ी के सांई कहय....
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