सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

संदेश

कतका झन देखे हें-

अपन भाखा

बासी मा मही ला घोर के तो देख । रोटी ला दूध मा बोर के तो देख । पावन हो जाही ना कंठ हा तो तोरे, भाखा ला अपन तैं बोल के तो देख ।।

माटी हमरे गांव के...

माटी हमरे गांव के, महर महर ममहाय । चंदन ले आगर लगय, माथा देव चढ़ाय ।। दाई के कोरा असन, माटी हवय महान । अपन गांव के ये मया, मिलय न कहूं जहान उपजे बाढे हन जिहां, धुररा देह लगाय । माटी हमरे गांव के...... खेेले कूदे हन जिहां, आनी बानी खेल । संगी संगी हम रहन, करके सबले मेल ।। नरवा तरिया के मया, हमला रहय लुभाय ।। माटी हमरे गांव के...... चांव चांव चिरई करय, अपने पाखी खोल । हरियर हरियर खार मा, मनुवा नाचय डोल ।। अमराई बोइर झरी, अपने तीर बलाय।। माटी हमरे गांव के...... कहां मोर लइका हवय, कइसन ओखर हाल । कइसे ओ बिसराय हे, मोर हाल बेहाल ।। गांव तोर सुरता करय, आंखी आंसु ढराय । माटी हमरे गांव के...

गुटका के अइसन चलन

नवा जमाना के चलन, गुटखा पाउच देख। गली सड़क मा थूक ले, चित्र गढ़े अनलेख ।। चगल चगल के रात दिन, छेरी कस पगुराय । गुटका पाउच खाय के, गली खोर रंगाय ।। पथरा रंगे थूक ले,घसरे मा ना जाय । रंग करेजा मा भरे, अइसन गुटका भाय ।। पान सुपारी हे कहां, गुटका सबे लमाय । फेषन के ये फेर मा, सरहा सरहा खाय ।। का का के धुररा हवय, काला कोन बताय । गुटका के अइसन चलन, सबो बात बिसराय ।।

सहिष्णुता

सहिष्णुता काला कहिथे, पूछय लइका आज । कोन जनी गा बेटवा, आवत मोला लाज ।। प्रश्न उठे ना आज तक, का होगे अब बात । हीरो पिक्चर के कहे, समझ नई तो आत ।। टी.वी. भूकय रात दिन, काखर पइसा पाय । सहिष्णुता आय का, कोनो नई बताय ।। मोला लगथे ये हवे, जइसे हरही गाय । हरियर हरियर खेत मा, मनमाफिक तो जाय । मोर सोच मा बेटवा, सहिष्णुता हे सोच । सोच सोच ले सोच के, माथा कलगी खोच ।। सागर मा नदिया भरय, घर कुरिया मा गांव । सब ला तो एके लगय, बर पीपर के छांव ।। धरती पानी अउ हवा, सहिष्णुता के मूर्ति । जीव जीव हर जीव के, करथे इच्छा पूर्ति ।।

कचरा करे सवाल

काबर पैदा होय हॅव, कचरा करे सवाल । फेके डारे बर घला, माचे हवय बवाल ।। घर ले फेके अंगना, लगे अंगना खोर । खोर खोर मा हे लगे, कतका कुढ़वा मोर ।। जतर कतर तो घात हे, गांव शहर के हाल । काबर पैदा होय हॅव.... नाक कान ला मूंद के, जाथें मोला छोड़ । अइसन अइसन सोच के, कइसे होही तोड़ ।। कोन खास अउ आम हे, सबके एके हाल । काबर पैदा होय हॅव... आये फेषन हे नवा, नेता ले शुरूवात । जब तक चमकय केमरा, चमचा संग बरात ।। झउहा रापा ला धरे, चले अपन ओ चाल । काबर पैदा होय हॅव.... ऐमा का परहेज हे, होय मोर उद्धार । साफ सफाई हे करे, भले दिखावा झार ।। संग होय सबके कहूं, कर लव मोरो ख्याल । काबर पैदा होय हॅव......

मइल हाथ के होत हे

मइल हाथ के होत हे, तोर चुने सरकार । अपन आप ला देख ले, फेर बोल ललकार ।। देश राज हा तोर हे, खुद ला मालिक जान । लोकतंत्र के राज मा, चलय तोर फरमान ।। अपन आप ला भूल के, गे नेता दरबार । लालच मा मतदान के, भोग सजा सौ बार ।। प्रांतवाद के बात हा, छाये काबर देश । काम आय हे वोट बर, मिटे कहां हे क्लेश ।। तोर रीति संस्कार हा, हे गा तोरे हाथ । अपने ला बिसराय के, ठोकत हस अब माथ ।।

हे गुरूनानक देव के

हे गुरूनानक देव के, आज परब परकास । अपन हाथ ला जोर के, करत हवंव अरदास । ओ तलवंडी गांव मा, बन आये भगवान । दाई तृप्ता हा रहिस, ददा रहिस कल्याण । सुघ्घर पावन दिन रहिस,कातिक पुन्नी मास । हे गुरूनानक देव के... रहिस नानपन ले अलग, जगत मोह ले दूर । अपने मा खोये रहय, रहय अपन मा चूर ।। पंडित मौली ले घला, करय प्रष्न ओ खास । हे गुरूनानक देव के... गुरू नानक के काम मा, चमत्कार ला देख । जेने जानय तेन हा, लेवय माथा टेक ।। करे फेर उपदेष हे, देत अपन आभास । हे गुरूनानक देव के... गुरूनानक हा हे कहे, ढोंगी दुनिया देख । मनखे मनखे एक हे, देवता घला एक ।। सिक्ख पंथ के नेह ला, रचे हवय जनवास । हे गुरूनानक देव के...

हाइकू मोर देश के

जापानी विधा । हाइकू, तांका, चोका । देश मा छाये ।। कोन हे इहां छंद के पूछईया । कोन बताये । ये मोर देश मोर अपने आय घात सुहाये । देश के माटी पुराना परिपाटी आज नंदाये । नवा लहर मचाये हे कहर जुन्ना ला खाये । कोन देखे हे मौसम बदले मा आने धरती । कोनो पेेड मा नवा पत्ती के आये नवा जर हे । टुकना तोपे कोन डोकरा राखे काला ये भाते ।

खोजव खोजव चोर ला......

खोजव खोजव चोर ला, कोने मेर लुकाय । करके आघू आन ला, कइसे के भरमाय ।। दिखथे हमला मोहरा, हवय शकुनि के चाल । पै बारा ला देख के, होगे बारा हाल ।। काट मोहरा फेकथन, लेथे नवा बनाय । खोजव खोजव चोर ला...... कट्टरता के देह के, आतंकवाद नाम । जात धरम जानय नही, मारे ले हे काम ।। सोचे के तो बात हे, कट्टर कोन बनाय । खोजव खोजव चोर ला... जर मा पानी पाय के, बिरवा बनथे झाड़ । काटव जर ला खोज के, बाते लेवव ताड़ ।। मारव अइसन सोच ला, कट्टर जेन बनाय । खोजव खोजव चोर ला....

चार आंतकी के मारे ले

आल्‍हा छंद मनखे होके काबर मनखे, मनखे ला अब मार गिराय । जेती देखव तेती बैरी, मार काट के लाश बिछाय ।। मनखे होके पथरा लागे, अपन करेजा बेचे आय । जीयत जागत रोबोट बने, आका के ओ हुकुम बजाय ।। मनखे होके काबर मनखे, मनखे ला अब मार गिराय । जेती देखव तेती बैरी, मार काट के लाश बिछाय ।। मनखे होके पथरा लागे, अपन करेजा बेचे खाय । जीयत-जागत जींद बने ओ, आका के सब हुकुम बजाय ।। ओखर मन का सोच भरे हे, अपनो जीवन देत गवाय । काबर बाचा माने ओ हा, हमला तो समझ नई आय ।। चार आदमी मिल के कइसे, दुनिया भर ला नाच नचाय । लगथे कोनो तो परदा हे, जेखर पाछू बहुत लुकाय ।। रसद कहां ले पाथे ओमन, बइठे बइठे जउने खाय । पाथे बारूद बम्म कहां ले, अतका नोट कहां ले आय ।। हमर सुपारी देके कोने, घर बइठे-बइठे मुस्काय । खोजव संगी अइसन बैरी, आतंकी तो जउन बनाय । चार आतंकी के मारे ले, आतंकी तो नई सिराय । जेन सोच ले आतंकी हे, तेन सोच कइसे मा जाय ।। कब तक डारा काटत रहिबो, जर ला अब खन कोड़ हटाव । नाम रहय मत ओखर जग मा, अइसन कोनो काम बनाव ।। -रमेश चौहान

मोर दूसर ब्लॉग