मनखे होके काबर मनखे, मनखे ला अब मार गिराय ।
जेती देखव तेती बैरी, मार काट के लाश बिछाय ।।
मनखे होके पथरा लागे, अपन करेजा बेचे खाय ।
जीयत-जागत जींद बने ओ, आका के सब हुकुम बजाय ।।
ओखर मन का सोच भरे हे, अपनो जीवन देत गवाय ।
काबर बाचा माने ओ हा, हमला तो समझ नई आय ।।
चार आदमी मिल के कइसे, दुनिया भर ला नाच नचाय ।
लगथे कोनो तो परदा हे, जेखर पाछू बहुत लुकाय ।।
रसद कहां ले पाथे ओमन, बइठे बइठे जउने खाय ।
पाथे बारूद बम्म कहां ले, अतका नोट कहां ले आय ।।
हमर सुपारी देके कोने, घर बइठे-बइठे मुस्काय ।
खोजव संगी अइसन बैरी, आतंकी तो जउन बनाय ।
चार आतंकी के मारे ले, आतंकी तो नई सिराय ।
जेन सोच ले आतंकी हे, तेन सोच कइसे मा जाय ।।
कब तक डारा काटत रहिबो, जर ला अब खन कोड़ हटाव ।
नाम रहय मत ओखर जग मा, अइसन कोनो काम बनाव ।।
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