सहिष्णुता काला कहिथे, पूछय लइका आज ।
कोन जनी गा बेटवा, आवत मोला लाज ।।
प्रश्न उठे ना आज तक, का होगे अब बात ।
हीरो पिक्चर के कहे, समझ नई तो आत ।।
टी.वी. भूकय रात दिन, काखर पइसा पाय ।
सहिष्णुता आय का, कोनो नई बताय ।।
मोला लगथे ये हवे, जइसे हरही गाय ।
हरियर हरियर खेत मा, मनमाफिक तो जाय ।
मोर सोच मा बेटवा, सहिष्णुता हे सोच ।
सोच सोच ले सोच के, माथा कलगी खोच ।।
सागर मा नदिया भरय, घर कुरिया मा गांव ।
सब ला तो एके लगय, बर पीपर के छांव ।।
धरती पानी अउ हवा, सहिष्णुता के मूर्ति ।
जीव जीव हर जीव के, करथे इच्छा पूर्ति ।।
कोन जनी गा बेटवा, आवत मोला लाज ।।
प्रश्न उठे ना आज तक, का होगे अब बात ।
हीरो पिक्चर के कहे, समझ नई तो आत ।।
टी.वी. भूकय रात दिन, काखर पइसा पाय ।
सहिष्णुता आय का, कोनो नई बताय ।।
मोला लगथे ये हवे, जइसे हरही गाय ।
हरियर हरियर खेत मा, मनमाफिक तो जाय ।
मोर सोच मा बेटवा, सहिष्णुता हे सोच ।
सोच सोच ले सोच के, माथा कलगी खोच ।।
सागर मा नदिया भरय, घर कुरिया मा गांव ।
सब ला तो एके लगय, बर पीपर के छांव ।।
धरती पानी अउ हवा, सहिष्णुता के मूर्ति ।
जीव जीव हर जीव के, करथे इच्छा पूर्ति ।।
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