दरत हवय छाती मा कोदो, होके हमरे भाई । हमरे घर मा संगे रहिके, मुॅह ले फोरय लाई ।। कोड़त हावे घर के भिथिया, हाथ धरे ओ साबर । ऐही घर मा पले बढ़े हे, बैरी होगे काबर ।। बात परोसी के माने हे, घर मा कोड़े खाई । दरत हवय छाती मा कोदो, होके हमरे भाई । हम जेला तो आमा कहिथन, ओ हर कहिथे अमली । घात करे बर बइठे रहिथे, ओढ़े ओ हर कमली । जुझय नही ओ बैरी मेरा, घर मा करे लड़ाई । दरत हवय छाती मा कोदो, होके हमरे भाई । अपने घर ला फोर खड़े हे, तभो कहय मैं बेटा । मुॅह मा ओखर आगी लागे, घर हा फसे चपेटा । करे हवय ये बारे आगी, बैरी के अगुवाई । दरत हवय छाती मा कोदो, होके हमरे भाई । बेटा ओ तो ओखर आवय, ये घर जेन बसाये । काखर फांदा फस के वो हर, आगी इहां लगाये । दाई के अचरा छोड़े अब, माने ना वो दाई । दरत हवय छाती मा कोदो, होके हमरे भाई । दाई के आॅखी ले झरथे, झरर झरर अब पानी । सहत हवे अंतस मा पीरा , सुन सुन जहर जुबानी । देख सकव ता देखव बेटा, दाई तोरे अकुलाई । दरत हवय छाती मा कोदो, होके हमरे भाई ।
पुस्तक: मानसिक शक्ति-स्वामी शिवानंद
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मानसिक शक्ति THOUGHT POWER का अविकल रूपान्तर लेखक श्री स्वामी शिवानन्द
सरस्वती
3 माह पहले