जय जय दाई नवागढ़ के, जय जय महामाय करत हवँव गोहार दाई, सुन लेबे पुकार । एक आसरा तोर हावे, पूरा कर दुलार ।। दुनिया वाले कहँव काला, मारत हवय लात । पइसा मा ये जगत हावे, जगत के ये बात ।। लगे काम हा छूट गे हे, परय पेट म लात । बिना बुंता के एक पइसा, आवय नही हाथ ।। काम बुता देवय न कोनो, देत हे दुत्कार । करत हवँव गोहार दाई, सुन लेबे पुकार । नान्हे-नान्हे मोर लइका, भरँव कइसे पेट । लइकामन हा करय रिबि-रिबि, करँव कइसे चेत ।। मोर पाप ला क्षमा करदौं, क्षमा कर दौ श्राप । काम-बुता अब हाथ दे दौ, कहय लइका बाप ।। काम-बुता अउ बिना पइसा, हवय जग बेकार । करत हवँव गोहार दाई, सुन लेबे पुकार । करत हवँव गोहार दाई, सुन लेबे पुकार । एक आसरा तोर हावे, पूरा कर दुलार ।।
पुस्तक: मानसिक शक्ति-स्वामी शिवानंद
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मानसिक शक्ति THOUGHT POWER का अविकल रूपान्तर लेखक श्री स्वामी शिवानन्द
सरस्वती
3 माह पहले