गुमान मन करथे, मैं हा हवँव चलायमान ।
स्वभाव काया के, का हे देखव तो मितान ।।
बिना टुहुल-टाहल, काया हे मुरदा समान ।
जभेच तन ठलहा, मन हा तो घूमे जहाँन ।।
जहान घूमे बर, मन हा तो देथे फरमान ।
चुपे बइठ काया, गोड़-हाथ ला अपन तान ।।
निटोर देखत हस, कुछ तो अब अक्कल लगाव ।
विचार के देखव, ये काखर हावे स्वभाव ।।
स्वभाव काया के, का हे देखव तो मितान ।।
बिना टुहुल-टाहल, काया हे मुरदा समान ।
जभेच तन ठलहा, मन हा तो घूमे जहाँन ।।
जहान घूमे बर, मन हा तो देथे फरमान ।
चुपे बइठ काया, गोड़-हाथ ला अपन तान ।।
निटोर देखत हस, कुछ तो अब अक्कल लगाव ।
विचार के देखव, ये काखर हावे स्वभाव ।।
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