अमरबेल के नार बियार,
कइसन छाये तोर डारा मा ।
अतका कइसे तैं निरबल होगे,
नाचे ओखर इसारा मा ।
कुकरी मछरी होके कइसे,
फसगे ओखर चारा मा ।
दरूहा कोडिहा होके कइसे,
अपन पगडी बेचे पै बारा मा ।
दूसर के हितवार्ती होके,
भाई ला बिसारे बटवारा मा ।
तै मनखे हस के बइला भइसा,
बंधे ओखर पछवारा मा ।
तै छत्तीसगढ़ीया बघवा के जाये,
परे मत रह कोलिहा के पारा मा ।
जान पहिचान अपन आप ला,
अपन मुॅह देख दरपण ढारा मा ।
ओखर ले तैं कमतर कहां हस,
पटक बैरी ला हटवारा मा ।।
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