पी के तोर पीरा
मोर कलम
शंकर बन जाही
तोर आँखी के आँसू
दवाद मा भर के
छलकत दरद ला
नीप-जीप कर के
सोखता कागज मा
मनखे मन के
अपन स्याही छलकाही
तर-तर तर-तर पसीना तैं
दिन भर बोहावस
बिता भर पेट ला धरे
कौरा भर नई खावस
भूख के अंगरा मा
अंगाकर बन
ये कड़कड़ ले सेकाही
डोकरा के हाथ के लाठी
बेटी के मन के पाखी
चोर उचक्का के आघू
दे के गवाही साखी
आँखी मूंदे खड़े
कानून ला
रद्दा देखाही
मोर कलम
शंकर बन जाही
तोर आँखी के आँसू
दवाद मा भर के
छलकत दरद ला
नीप-जीप कर के
सोखता कागज मा
मनखे मन के
अपन स्याही छलकाही
तर-तर तर-तर पसीना तैं
दिन भर बोहावस
बिता भर पेट ला धरे
कौरा भर नई खावस
भूख के अंगरा मा
अंगाकर बन
ये कड़कड़ ले सेकाही
डोकरा के हाथ के लाठी
बेटी के मन के पाखी
चोर उचक्का के आघू
दे के गवाही साखी
आँखी मूंदे खड़े
कानून ला
रद्दा देखाही
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