अरे पगली, मै होगेव पगला, तोर मया म । तोर सुरता, निंद भूख हरागे, मया म तोर । रात के चंदा, चांदनी ल देखव, एकटक रे । कब होही रे, मया संग मिलाप , गुनत हव । मया नई हे, गोरी के अंतस म, सुर्रत हव । एक नजर, देख तो मोरो कोती, मया के संगी । ....‘रमेश‘...
दो अवधी कवितायेँ -प्रो रवीन्द्र प्रताप सिंह
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1-दादा बोलें आऊ पूत बच वाचलाब कइयां बकइयां कहय कि पकरब आज जो धैन्या कहिस
उन्जरिया जाव तुम पूत खावपियव फि रहो व मजबूत। बड़े हो वफिर आऊधाय करबय हम
तुम्हार इं...
1 दिन पहले