अरे पगली, मै होगेव पगला, तोर मया म । तोर सुरता, निंद भूख हरागे, मया म तोर । रात के चंदा, चांदनी ल देखव, एकटक रे । कब होही रे, मया संग मिलाप , गुनत हव । मया नई हे, गोरी के अंतस म, सुर्रत हव । एक नजर, देख तो मोरो कोती, मया के संगी । ....‘रमेश‘...
छत्तीसगढ़ के प्रख्यात साहित्यकार एवं शिक्षाविद डिहुर राम निर्वाण ‘प्रतप्त’
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छत्तीसगढ़ की समृद्ध लोकधारा और साहित्यिक परंपरा में अनेक ऐसे रचनाकार हुए
हैं जिन्होंने न केवल साहित्य को नई दिशा दी बल्कि समाज को जागरूक और
प्रगतिशील बनाने...
8 घंटे पहले