घाम करे अतका अब तो धरती अॅंगरा कस लागय गा । हो ठुड़गा अब ठाढ़ खड़े रूखवा नॅंगरा कस लागय गा ।। बंजर हे नदिया नरवा तरिया अउ बोर कुॅंआ नल हा।। हे तड़पे मछरी कस कूदत नाचत ये मनखे दल हा ।
हिन्दी दिवस पर विशेष -भाषा, संस्कृति और आत्मगौरव का उत्सव
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डुमन लाल ध्रुव हिन्दी :राष्ट्र की विविधताओं को जोड़ने वाली सेतु हिन्दी केवल
एक भाषा नहीं बल्कि भारत की आत्मा, संस्कृति, परंपरा और राष्ट्र की विविधताओं
को ज...
16 घंटे पहले