कइसन जग मा रीत बनाये, प्रेम डोर मा सब बंधाये । मिलन संग मा बिछुडन जग मा, फेरे काबर राम बनाये ।। छुटे प्राण ये भले देह ले, हो .......... 2 मया कोखरो झन छूटय, कभू करेजा झन टूटय जग बैरी चाहे हो जावय, हो.........2 मया कोखरो झन रूठय भाग कोखरो झन फूटय लोरिक-चंदा हीरे-रांझा, प्रेम जहर ला मन भर पीये । मरय मया मा दूनों प्रेमी, अपन मया बर जिनगी जीये ।। छुटे प्राण ये भले देह ले, हो .......... 2 मया कोखरो झन छूटय, कभू करेजा झन टूटय जग बैरी चाहे हो जावय, हो.........2 मया कोखरो झन रूठय भाग कोखरो झन फूटय काया बर तो हृदय बनाये, जेमा तो मया जगाये । फेरे काबर रामा तैं हा, आगी काबर येमा लगाये । छुटे प्राण ये भले देह ले, हो .......... 2 मया कोखरो झन छूटय, कभू करेजा झन टूटय जग बैरी चाहे हो जावय, हो.........2 मया कोखरो झन रूठय भाग कोखरो झन फूटय
समृद्ध बस्तर, शोषित बस्तर- श्रीमती शकुंतला तरार
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श्रीमती शकुंतला तरार,एक ऐसी कवयित्री जो बस्तर में जन्मीं और बस्तर को ही
अपनी कलम का केन्द्र बनाया।सोचिए — जिस धरती पर जन्म हुआ, उसी पर इतनी गहराई
से लिखा क...
1 दिन पहले