बुद्धिजीवी ज्ञान तोरे, आज बैरी कस खड़े । देश द्रोही साथ धर के, आज बैरी कस लड़े।। देश सबले तो बड़े हे, थोरको तैं नइ पढ़े । ज्ञान सब बेकार होथे, देश जेने ना गढ़े ।। बुद्धिजीवी ज्ञान तोरे, आज अपने पास धर । ज्ञान अपने हाथ धर के, सोच अपने सोझ कर ।। उग्रवादी तोर भाई, देशप्रेमी शत्रु हे । लाज घर के बेच खाये, कोन तोरे शत्रु हे ।। -रमेश चौहान
Protected: जरथुश्त्र: ईरान के महान् पैगम्बर और मज़द-उपासना के प्रवर्तक
-
There is no excerpt because this is a protected post.
6 दिन पहले