बुद्धिजीवी ज्ञान तोरे, आज बैरी कस खड़े ।
देश द्रोही साथ धर के, आज बैरी कस लड़े।।
देश सबले तो बड़े हे, थोरको तैं नइ पढ़े ।
ज्ञान सब बेकार होथे, देश जेने ना गढ़े ।।
बुद्धिजीवी ज्ञान तोरे, आज अपने पास धर ।
ज्ञान अपने हाथ धर के, सोच अपने सोझ कर ।।
उग्रवादी तोर भाई, देशप्रेमी शत्रु हे ।
लाज घर के बेच खाये, कोन तोरे शत्रु हे ।।
-रमेश चौहान
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