बेटी-बहू बेटी हमरे आज के, बहू कोखरो काल । बहू गढ़य परिवार ला, राखय जोर सम्हाल ।। राखय जोर सम्हाल, बहू जइसे हे चिरई । तिनका-तिनका जोर, खोंधरा ओखर बनई ।। सास-ससुर मां बाप, मान राखय जी तुहरे । सुग्घर बहू कहाय, मान तब बेटी हमरे ।।
एक लघु आलेख:अब युद्ध क्यों होते हैं? – डॉ. अर्जुन दूबे
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त्रेता युग में रचा गया राम-रावण युद्ध भारतीय इतिहास की उस पहली महान कथा का
रूप ले चुका है, जिसमें धर्म और अधर्म के बीच की रेखा स्पष्ट खींच दी…
6 दिन पहले