बेटी-बहू
बेटी हमरे आज के, बहू कोखरो काल ।
बहू गढ़य परिवार ला, राखय जोर सम्हाल ।।
राखय जोर सम्हाल, बहू जइसे हे चिरई ।
तिनका-तिनका जोर, खोंधरा ओखर बनई ।।
सास-ससुर मां बाप, मान राखय जी तुहरे ।
सुग्घर बहू कहाय, मान तब बेटी हमरे ।।
छत्तीसगढ़ी भाषा अउ छत्तीसगढ़ के धरोहर ल समर्पित रमेशकुमार सिंह चौहान के छत्तीसगढ़ी छंद कविता के कोठी ( rkdevendra.blogspot.com) छत्तीसगढ़ी म छंद विधा ल प्रोत्साहित करे बर बनाए गए हे । इहॉं आप मात्रिक छंद दोहा, चौपाई आदि और वार्णिक छंद के संगेसंग गजल, तुकांत अउ अतुकांत कविता पढ़ सकत हंव ।
Bahut khub sir
जवाब देंहटाएं👌👌👌👌nice
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