श्रृंगारिक फागगीत चल हां गोरी, तोर नयना म जादू हे चल हां गोरी, तोर नयना म जादू हे, मोला करे बिभारे ।।टेक।। चल हां गोरी, तोर नयना म का घुरे हे, अउ का के करथे गोठ।।1।। चल हां गोरी, तोर नयना म मया घुरे हे, अउ मया के करथे गोठ ।।2।। चल हां गोरी, तोर नयना म का लगे हे, अउ दिखय कोने रंग ।।3।। चल हां गोरी, तोर नयना म जादू लगे हे, जेमा दिखय मया के रंग ।।4।। चल हां मयारुक, तोर मया म बहिया हँव चल हां मयारुक, तोर मया म बहिया हँव, जेमा बिगड़े मोरे चाल ।।टेक।। चल हां मयारुक, कहां जाके मैं लुकॉंव, अउ कहां पावँव चैन ।।1।। चल हां मयारुक, तोर गली म जाके लुकॉंव, अउ तोर दरस म पावँव चैन ।।2।। चल हां मयारुक, मोला काबर नई लगय पियास, अउ काबर नई लगय भूख।।3।। चल हां मयारुक, तोर दरस बिन नई लगय पियास, अउ मिलन बिन ना लागय भूख ।।4।। -रमेश चौहान
Protected: जरथुश्त्र: ईरान के महान् पैगम्बर और मज़द-उपासना के प्रवर्तक
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6 दिन पहले