कंचन काया हवय तोर ।
लजागे चंदा सुन सोर ।
कतका सुघ्घर तोर गोठ ।
सुन कोयल करे मन छोट ।
चुन्दी कारी तोर देख ।
घटा बादर होगे पेख । पेख -पेखन - खिलौना
पारे पाटी बने मांग ।
पाछू फूल गजरा टांग ।
मांगमोती आघू ओर ।
सुरूज जस चमके खोर ।
माथा टिकली गोल गोल ।
समा गे जम्मा भूगोल ।
नाक नथनी झुमका कान ।
आंखी तोर तीर कमान ।
ओट तोरे फूल गुलाब ।
दे गोइ अनमोल खिताब ।
सुराही गर्दन श्रृंगार ।
पहिरे तै सोनहा हार ।
लाली लुगरा डारे खांध ।
कनिहा म करधनिया बांध ।
रून झुन करे साटी गोड़ ।
सुन देखय सब मुह ल मोड़ ।
तोरे सोलहो सिंगार ।
मुरदा देही जीव डार ।
मेनका उर्वशी सबो फेल ।
हवय रूप मा जादू खेल ।
फर्सुत म विधाता गढ़े ।
देखे बर देवता ह खड़े ।
मोला तै कनेखी देख ।
मया कर हू मै अनलेख ।
देख तोर एक मुस्कान ।
दे दू हूं गोइ अपन जान ।
लजागे चंदा सुन सोर ।
कतका सुघ्घर तोर गोठ ।
सुन कोयल करे मन छोट ।
चुन्दी कारी तोर देख ।
घटा बादर होगे पेख । पेख -पेखन - खिलौना
पारे पाटी बने मांग ।
पाछू फूल गजरा टांग ।
मांगमोती आघू ओर ।
सुरूज जस चमके खोर ।
माथा टिकली गोल गोल ।
समा गे जम्मा भूगोल ।
नाक नथनी झुमका कान ।
आंखी तोर तीर कमान ।
ओट तोरे फूल गुलाब ।
दे गोइ अनमोल खिताब ।
सुराही गर्दन श्रृंगार ।
पहिरे तै सोनहा हार ।
लाली लुगरा डारे खांध ।
कनिहा म करधनिया बांध ।
रून झुन करे साटी गोड़ ।
सुन देखय सब मुह ल मोड़ ।
तोरे सोलहो सिंगार ।
मुरदा देही जीव डार ।
मेनका उर्वशी सबो फेल ।
हवय रूप मा जादू खेल ।
फर्सुत म विधाता गढ़े ।
देखे बर देवता ह खड़े ।
मोला तै कनेखी देख ।
मया कर हू मै अनलेख ।
देख तोर एक मुस्कान ।
दे दू हूं गोइ अपन जान ।
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