फागुन फगुआ फाग के, रास रचे हे राग । महर-महर ममहाय हे, बगर-बगर के बाग ।। बगर-बगर के बाग, बलावय बसंत राजा । जाग जुड़ावत जाड़ हे, घमावत घमहा बाजा ।। राचय रास रमेश, संग मा संगी सगुआ । सरसो परसा फूल, लजावय फागुन फगुआ ।।
महाकुंभ 2025: प्रयागराज में आस्था और संस्कृति का महासंगम
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प्रयागराज, जिसे त्रिवेणी संगम के लिए जाना जाता है, इस वर्ष महाकुंभ के पावन
अवसर पर लाखों श्रद्धालुओं, साधु-संतों और पर्यटकों का स्वागत कर रहा है।
महाकुंभ क...
1 हफ़्ते पहले