सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

संदेश

घनाक्षरी छंद लेबल वाली पोस्ट दिखाई जा रही हैं

कतका झन देखे हें-

मोर छत्तीसगढ़ मा, साल भर तिहार हे

मोर छत्तीसगढ़ मा, साल भर तिहार हे मोर छत्तीसगढ़ मा, तो साल भर तिहार हे  लगे जइसे दाई हा, करे गा सिंगार हे। हम आषाढ महिना, रथयात्रा मनाथन घर घर कथा पूजा, देव ला जोहार हे ।। पधारे जगन्नाथ हा, सजे सुघ्घर रथ मा गांव गांव गली गली, करे विहार हे । भोले बाबा सहूंहे हे, सावन महिना भर करलव गा उपास, सावन सोम्मार हे ।। येही मा हरेली आथे, किसान हा हरसाथे लइका खापे गा गेड़ी, मजा भरमार हे । भाई बहिनी के मया, सावन हा सजोवय बहिनी बांधय राखी, देत दुलार हे ।।  भादो मा खमरछठ, पसहर के चाऊर खाके रहय उपास, दाई हमार हे । आठे कन्हैया मनाय, जनमदिन कृष्‍णा के दही लूट के गांव मा, बड़ खुमार हे ।।   दाई माई बहिनी के, आगे अब तिजा पोरा  जोहत लेनहार ला, करे वो सिंगार हे । लइकापन के जम्मो, संगी सहेली ह मिले पटके जब तो पोरा, परत गोहार हे । घर घर करू भात, जा जा मया मा तो खाथें आज तिजा के उपास, काली फरहार हे । ठेठरी खुरमी फरा, आनी बानी के कलेवा नवा नवा लुगरा ले, नोनी गुलजार हे । तिजा-पोरा मइके के, सुध बढ़ावव भादो ठेठरी-खुरमी पागे, मइके दुलार हे । आगे भादो के महिना, गणराजा हा पधारे  गणेश भक्ति मा डूबे, अब तो संसार हे।  कुलकत ल

नंदा गे

गोड के साटी नंदा गे, हाथ के चुरी हरागे, मुड़ी के चुंदी कटागे, अब टूरी मन के । माथा के टिकली हर, नाक मा उतर गे हे, कुतर दे हे चेंदरा, मुसवा फेसन के ।। पहिने हे टिप टाप, छोटे-छोटे छांट-छांट, मोबाइल धरे हाथ, गोठ लमावत हे । तन आधा हे उघरा, मुॅह मा तोपे चेंदरा, सरर सरर कर, गाड़ी चलावत हे ।।

पुसवा के जाड़

बिहनिया बिहनिया, सुत उठ के देख ले,  अपन तै चारो कोती, नवा नवा घाम मा । हरियर हरियर, धरती के लुगरा मा,  सीत जरी कस लागे, पुसवा ये धाम मा ।। निकाल मुॅंह ले धुॅवा, चोंगी के नकल करे,  चिढ़ावत हे बबा ला,  माखुर के नाम मा । भुरी तापत बइठे, चाय चुहकत बबा,  उठ उठ चिल्लावय,  चलव रेे काम मा  ।

ओ दरूहा मनखे

डुगुर-डुगुर डोले, बकर-बकर बोले, गांव के अली-गली मा, ओ दरूहा मनखे । कोनो ल झेपय नही, कोनो न घेपय नही, एखर-ओखर मेर, दत जाथे तन के ।। अपने ओरसावत, अपने च सकेलत, झुमर-झुमर झूम, आनी-बानी गोठ ला । ओ कोनो ला ना सुनय, ना ओ कोनो ला देखय, देखावत हे अपने, हाथ करे चोट ला ।।

कब आबे होश मा

एती तेती चारो कोती, इहरू बिछरू बन, देश के बैरी दुश्मन, घुसरे हे देष मा । चोट्टा बैरी लुका चोरी, हमरे बन हमी ला, गोली-गोला मारत हे, आनी बानी बेष मा ।। देष के माटी रो-रो के, तोला गोहरावत हे, कइसन सुते हस, कब आबे होश मा । मुड़ म पागा बांध के, हाथ धर तेंदु लाठी, जमा तो  कनपट्टी ला, तै अपन जोश मा ।।

दो कवित्त्त

     दो कवित्त्त                                   1- फेशन के चक्कर मा, दूसर के टक्कर मा, लाज ला भुलावत हे, टूरा टूरी गांव के । हाथ धरे मोबाईल, फोकट करे स्माईल, करत आंख मटक्का, धरे मया नाव के ।। करे मया देखा देखी, संगी संगी ऐती तेती, भागत उड़रहीया,  यै लईका आज के । ददा ला गुड़ेरत हे, दाई ला भसेड़ेत हे, टोरत हे आजकल, फईका लाज के  ।                     2-. ऐती तेती चारो कोती, इहरू बिछरू बन, देश के बैरी दुश्मन, घुसरे हे देश मा । चोट्टा बैरी लुका चोरी, हमरे बन हमी ला, गोली-गोला मारत हे, आनी बानी बेश मा ।। देष के माटी रो-रो के, तोला गोहरावत हे, कइसन सुते हस, कब आबे होश मा । मुड़ म पागा बांध के, हाथ धर तेंदु लाठी, जमा तो  कनपट्टी ला, तै अपन जोश मा ।।

नवा नवा सोच ले

हम तो लईका संगी, आन नवा जमाना के । विकास गाथा गढ़बो, नवा नवा सोच ले ।। ऊॅच नीच के गड्ठा ला, आज हमन पाटबो । नवा रद्दा ला गढ़बो, नवा नवा सोच ले ।। जात पात धरम के, आगी तो दहकत हे । शिक्षा के पानी डारबो, नवा नवा सोच ले ।। भ्रष्टाचार के आंधी ला, रोकबो छाती तान के । ये देश ला चमकाबो, नवा नवा सोच ले ।। दारू मंद के चक्कर, हमला नई पड़ना । नशा के जाल तोड़बो, नवा नवा सोच ले ।। जवानी के जोश मा, ज्वार भाटा उठत हे । दुश्मन ला खदेड़बो, नवा नवा सोच ले ।। हर भाषा हमार हे, हर प्रांत हा हमार । भाषा प्रांत ला उठाबो, नवा नवा सोच ले ।। नवा तकनीक के रे, हन हमूमन धनी । तिरंगा ला फहराबो, नवा नवा सोच ले ।।

मोर दूसर ब्लॉग