बिहनिया बिहनिया, सुत उठ के देख ले,
अपन तै चारो कोती, नवा नवा घाम मा ।
हरियर हरियर, धरती के लुगरा मा,
सीत जरी कस लागे, पुसवा ये धाम मा ।।
निकाल मुॅंह ले धुॅवा, चोंगी के नकल करे,
चिढ़ावत हे बबा ला, माखुर के नाम मा ।
भुरी तापत बइठे, चाय चुहकत बबा,
उठ उठ चिल्लावय, चलव रेे काम मा ।
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