मोर छत्तीसगढ़ मा, साल भर तिहार हे
मोर छत्तीसगढ़ मा, तो साल भर तिहार हे
लगे जइसे दाई हा, करे गा सिंगार हे।
हम आषाढ महिना, रथयात्रा मनाथन
घर घर कथा पूजा, देव ला जोहार हे ।।
पधारे जगन्नाथ हा, सजे सुघ्घर रथ मा
गांव गांव गली गली, करे विहार हे ।
भोले बाबा सहूंहे हे, सावन महिना भर
करलव गा उपास, सावन सोम्मार हे ।।
येही मा हरेली आथे, किसान हा हरसाथे
लइका खापे गा गेड़ी, मजा भरमार हे ।
भाई बहिनी के मया, सावन हा सजोवय
बहिनी बांधय राखी, देत दुलार हे ।।
भादो मा खमरछठ, पसहर के चाऊर
खाके रहय उपास, दाई हमार हे ।
आठे कन्हैया मनाय, जनमदिन कृष्णा के
दही लूट के गांव मा, बड़ खुमार हे ।।
दाई माई बहिनी के, आगे अब तिजा पोरा
जोहत लेनहार ला, करे वो सिंगार हे ।
लइकापन के जम्मो, संगी सहेली ह मिले
पटके जब तो पोरा, परत गोहार हे ।
घर घर करू भात, जा जा मया मा तो खाथें
आज तिजा के उपास, काली फरहार हे ।
ठेठरी खुरमी फरा, आनी बानी के कलेवा
नवा नवा लुगरा ले, नोनी गुलजार हे ।
तिजा-पोरा मइके के, सुध बढ़ावव भादो
ठेठरी-खुरमी पागे, मइके दुलार हे ।
आगे भादो के महिना, गणराजा हा पधारे
गणेश भक्ति मा डूबे, अब तो संसार हे।
कुलकत लइकामन, खूब नाचय कूदय
जय गणेश कहि के, करे जयकार हे ।
खमरछठ सगरी, आठे कन्हैया उपास
ए भादा महिना तोरे, महिमा अपार हे ।
कुवांर महिना संग, पितर पाख आवय
देवता बन पधारे, पुरखा हमार हे ।
तरपन करथन, बरा चिला चढ़ाथन
मरे बर मया कर, येही हा संस्कार हे ।
दूसर पाख मा आथे, दुर्गा दाई घर घर
करय जम्मो भगत, दाई ला जोहार हे ।
नव दिन नव रात, अखंड जोत जलय
मन मा खुषी उमंग, भरे भरमार हे ।
कातिक देवारी लाथे, घर लिपव पोतव
खोर-गली झारे-लिपे, कहय तिहार हे ।
पंच दिन पांच रात, रिगबिग दिया बारे
लड़का फोरे फटका, खुषी असम्हार हे ।।
सुरहुत्ती के दिया ल, एक दूसर घर धर
गोवर्धन पूजा कोठा, गौ-धन हमार हे ।
राउत मातर जागे, गुदुम बाजा नाचय
भाई-दूज के कलेवा, बहिनी के प्यार हे ।।
सुवा नाच नाचत हे, गांव के दीदी बहिनी
गउरा-गउरी बिहाव ह, हमर चिन्हार हे ।
एकादषी देव जागे, देवउठनी कहाये
घर-घर तुलसी म, मड़वा कुषियार हे ।
दुवारी लक्ष्मी गोड के, चौका-चउक पुराये
हे अगहन महिना, दिन गुरूवार हे ।
पुस छेरछेरा पुन्नी, अन्न दान के महत्ता
संग लाथे मेला-ठेला, रहचुली झार हे ।
माघ म बसंत पंचमी, सरस्वती ल सुमर
होली-डांग आज गढ़े, फगुवा खुमार हे ।
फागुन म फाग गाये, थाप नगाड़ा गमके
रंग गुलाल के पोते, मुॅंह न चिन्हार हे ।
चइत महिना पावन, दमके जोत जवारा
जसगीत म झुमरत, श्रद्धा दिखे हमार हे ।
रामनवमी राम के, जनमदिन मनाव
राम के रेंगे रद्दा, रद्दा चतवार हे ।
बइसाख अक्ती आए, सजे पुतरा-पुतरी
नोनी बांटे चना दाना, बिहाव तिहार हे ।
जेठ के गोठ अलग, चले गरम तफ्फर्रा
धधके लू के धधका, निच्चट असम्हार हे ।
पानी पीया दौव प्यासे, छानही बांधे पोरहा
चिरई चिरगुन ह, घला तो हमार हे ।
छत्तीसगढ़ के हवे, नगत रंग छत्तीसा
मोर छत्तीसगढ़ मा, साल भर तिहार हे ।
बहुते बढ़िया उदिम खातिर अंतस ले बधाई भैयाश्री।
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