भाषा अपन बिगाड़ मत, देखा-शेखी आन कहाये ।
देवनागरी के सबो, बावन अक्षर घात सुहाये ।।
छत्तीसगढ़ी मा भरव, सबो वर्ण ले शब्द बनाए ।
कदर बाढ़ही एखरे , तत्सम आखर घला चलाए ।।
पढ़े- लिखे अब सब हवय, उच्चारण ला पोठ बनाही।
दूसर भाषा संग तब, अपने भाषा हाथ मिलाही ।
करव मानकीकरण अब, कलमकार सब एक कहाये ।
पोठ करव लइका अपन, भाषा अपने पोठ धराये ।।
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