करम बडे जग मा
(दुर्मिल छंद)
करम बड़े जग मा, हर पग-पग मा, अपन करम गति ला पाबे ।
कोने का करही, पेटे भरही, जभे हाथ धर के खाबे ।।
काबर तैं बइठे, अइठे-अइठे, काम-बुता सब ला चाही ।
फोकट मा मांगे, जांगर टांगे, ता कोने हम ला भाही ।।
-रमेशकुमार सिंह चौहान
(दुर्मिल छंद)
करम बड़े जग मा, हर पग-पग मा, अपन करम गति ला पाबे ।
कोने का करही, पेटे भरही, जभे हाथ धर के खाबे ।।
काबर तैं बइठे, अइठे-अइठे, काम-बुता सब ला चाही ।
फोकट मा मांगे, जांगर टांगे, ता कोने हम ला भाही ।।
-रमेशकुमार सिंह चौहान
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