//अपन बोली मा बोलव//
(शुभग दंडक छंद)
मन अपन तैं खोल, कुछु फेर बोल, कुछु रहय झन पोल, निक लगय गा गोठ ।
खुद अपन ला भाख, खुद लाज ला राख, सब डहर ला ताक, सब करय गा पोठ ।
गढ अपन के बात, जस अपन बर भात, भर पेट सब खात, कर तुहूँ गा रोठ ।
गढ़ हमर छत्तीस, तब बोल मत बीस, मन डार मत टीस, अब बनव गा मोठ ।।
-रमेश चौहान
(शुभग दंडक छंद)
मन अपन तैं खोल, कुछु फेर बोल, कुछु रहय झन पोल, निक लगय गा गोठ ।
खुद अपन ला भाख, खुद लाज ला राख, सब डहर ला ताक, सब करय गा पोठ ।
गढ अपन के बात, जस अपन बर भात, भर पेट सब खात, कर तुहूँ गा रोठ ।
गढ़ हमर छत्तीस, तब बोल मत बीस, मन डार मत टीस, अब बनव गा मोठ ।।
-रमेश चौहान
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