एक अकेला आय तै, जाबे तै हर एक । का गवाय का पाय हस, ध्यान लगा के देख । ध्यान लगा के देख, करे काखर हस तै जै । मनखे चोला पाय, बने हस का मनखे तै ।। मनखेपन भगवान, जेन हा लगय झमेला । पूजे का भगवान, होय तै एक अकेला ।। -रमेश चौहान
हिन्दी साहित्य में भारतीय लोकसंस्कृति की जड़ें और उसका जीवंत स्वरूप-रमेश
चौहान
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रमेश चौहान एक वरिष्ठ साहित्यकाारहैं, जो हिन्दी एवं छत्तीसगढ़ी दोनों भाषाओं
में गद्य एवं पद्य दोनों विधाओं में समान अधिकार रखते हैं । पद्य में आपका
परिचय एक...
7 घंटे पहले