घाम करे अतका अब तो धरती अॅंगरा कस लागय गा । हो ठुड़गा अब ठाढ़ खड़े रूखवा नॅंगरा कस लागय गा ।। बंजर हे नदिया नरवा तरिया अउ बोर कुॅंआ नल हा।। हे तड़पे मछरी कस कूदत नाचत ये मनखे दल हा ।
संवेदनशील और सशक्त साहित्यकार:जयन्त कुमार थोरात- डुमन लाल ध्रुव
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छत्तीसगढ़ की धरती साहित्य, संस्कृति और वीरता की परंपरा में अद्वितीय रही है।
इसी माटी ने ऐसे अनेक प्रतिभाशाली व्यक्तित्वों को जन्म दिया है जिन्होंने
अपने कर...
1 दिन पहले