घाम करे अतका अब तो धरती अॅंगरा कस लागय गा । हो ठुड़गा अब ठाढ़ खड़े रूखवा नॅंगरा कस लागय गा ।। बंजर हे नदिया नरवा तरिया अउ बोर कुॅंआ नल हा।। हे तड़पे मछरी कस कूदत नाचत ये मनखे दल हा ।
रचनात्मक व्यक्तित्व और साहित्यिक अवदान सुरजीत नवदीप-डुमन लाल ध्रुव
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हिन्दी साहित्य जगत में छत्तीसगढ़ के अनेक साहित्यकारों ने अपनी लेखनी से
विशिष्ट पहचान बनाई है। उन्हीं में एक सशक्त, संवेदनशील और बहुआयामी रचनाकार
हैं सुरजीत...
5 घंटे पहले