रूपमाला छंद पढ़े काबर चार आखर, इहां सोचे कोन । डालडा के बने गहना, होय चांदी सोन ।। पेट पूजा करे भर हे, बने ज्ञानी पोठ । सबो पढ़ लिख नई जाने, गाँव के कुछु गोठ ।। मोर लइका मोर बीबी, मोर ये घर द्वार । छोड़ दाई ददा भाई, करे हे अत्याचार ।। सोंध माटी नई जाने, डगर के चिखला देख । पढ़े अइसन दिखे ओला, गांव मा मिन मेख । ज्ञान दीया कहाथे जब, कहां हे अंजोर । नौकरी बर लगे लाइन, अपन गठरी जोर ।।
छत्तीसगढ़ी काव्य संग्रह आपरेशन एक्के घॉंव भाग-3
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निठुर जोही गवना लेवावन आजा निठुर जोही गवना लेवावन आजा, निठुर जोही गवना
लेवावन आजा, पानी गिरत है रिमझिम रिमझिम, दिन बीतत है गिन गिन। दहकत है
अंगारा मन में, …
4 दिन पहले