माघ के उतरति म अऊ बेरा के बूडती म, मेघा काबर छाय हे ये बसंत बर काबर मंतियायें हे । लूहूर तूहूर अपन बिदाई म आसू बहावत हे, सुरूर सुरूर पुरवाही ओखर साथ निभावत हे । अभी बरफ ह बरोबर टघले नईये, ओला ये फेर काबर जमाय है । अभी अभी लइका के दाई सेटर ल संदूक म धरे हे, तेला ये बादर रोगहा फेर निलकलवाये बर परे हे । ओनाहारी अभीच्चे फूल धरे हे तेंला ये काबर झर्राय हे । सुघ्घर सपना देखत किसान ल हिलोर के काबर जगायें है। सावन भादों जब ऐखर जरूरत रहिस त अब्बड़ तरसाये हे । आज चनामन के माते हे फूल तेन ल झर्रायेबर आये हे । जइसे गांव के गौटिया काम म पइसा नई देवय, अऊ अपन काम बर फोकट म दारू पियाये हे । ये बादर काम बर ठेंगा देखायें हे, अऊ आज फोकट के बरसाय हे । ...................‘‘रमेश‘‘.........................
छत्तीसगढ़ी म भागवत कथा भाग-6.परिक्षित के गर्भ मा रक्षा
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‘छत्तीसगढ़ी म भागवत कथा’ एक महाकाव्य के रूप म लिखे जात हे ऐला धीरे-धीरे
कई भाग म प्रकाशित करे जाही । एला श्रीमद्भागवत अउ सुखसागर आधार ग्रंथ ले के
छत्तीस...
22 घंटे पहले