कोनो प्रतिभा गुलाम नई होवय अमीरी के,
रददा रोक नइ सकय कांटा गरीबी के ।
कोनो काही कहय चिखले म कमलदल ह खिलथे,
अऊ हर तकलीफ ले जुझेच म सफलता ह मिलथे ।
हर खुशी कहां मिलथे अमीरी ले,
कोनो खुशी कहां अटकथे गरीबी ले ।
कोनो काही कहय खुशी तो मनेच ले मिलथे,
तभे तो मन चंगा त कठौति म गंगा कहिथे ।
सुरूज निकलथे दुनो बर,
पुरवाही बहिथे दुनो बर ।
कोनो काही कहय बरसा घाम दुनो बर बरिसथे,
जेखर जतका बर गागर ओतके पानी भरथे ।
अमीर सदा अमीर नई रहय
गरीब सदा गरीबी नई सहय ।
कोनो काही कहय भाग करम के गुलाम रहिथे ।
सियान मन धन दोगानी ला हाथ के मइल कहिथे ।
सफल होय बर हिम्मत के दरकार हे,
जेन सहय आंच तेन खाय पांच कहाय हे ।
कोनो काही कहय जांगर टोर जेन कमाथे,
अपन मुठ्ठी म करम किस्मत ल पाथे ।
-रमेशकुमार सिंह चौहान
रददा रोक नइ सकय कांटा गरीबी के ।
कोनो काही कहय चिखले म कमलदल ह खिलथे,
अऊ हर तकलीफ ले जुझेच म सफलता ह मिलथे ।
हर खुशी कहां मिलथे अमीरी ले,
कोनो खुशी कहां अटकथे गरीबी ले ।
कोनो काही कहय खुशी तो मनेच ले मिलथे,
तभे तो मन चंगा त कठौति म गंगा कहिथे ।
सुरूज निकलथे दुनो बर,
पुरवाही बहिथे दुनो बर ।
कोनो काही कहय बरसा घाम दुनो बर बरिसथे,
जेखर जतका बर गागर ओतके पानी भरथे ।
अमीर सदा अमीर नई रहय
गरीब सदा गरीबी नई सहय ।
कोनो काही कहय भाग करम के गुलाम रहिथे ।
सियान मन धन दोगानी ला हाथ के मइल कहिथे ।
सफल होय बर हिम्मत के दरकार हे,
जेन सहय आंच तेन खाय पांच कहाय हे ।
कोनो काही कहय जांगर टोर जेन कमाथे,
अपन मुठ्ठी म करम किस्मत ल पाथे ।
-रमेशकुमार सिंह चौहान
रमेश भाई ! सही बात ए ग प्रतिभा अऊ सुख ह कभु साधन के मुँहताज नई रहय । बढिया लिखे हस ग , अइसने तोर कलम ह दौंडत रहय ।
जवाब देंहटाएंआपके आशीष अऊ दुलार बर सादर नमन
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