1. कोनो काम छोटे बड़े नई होवय,
जऊन काम म मन लगय ओही काम करव ।
बघवा कइसे छोटे बड़े शिकार म ध्यान लगाये हे,
ऐमा जरूर विचार करव ।।
2. सिखे के कहू ललक होही,
मनखे कोनो मेर ले रद्दा खोज लेही ।
भवरा जइसे फूल ऊपर होही,
त मधु मधु मधुर परागेच ल पिही ।।
3. भगवान चंदन के फर फूर कहां बनाये हे,
तभो चारो कोती खुशी बगराये हे ।
इही त्याग अऊ तपस्या ले,
भगवान ऐला अपन माथे म चढ़ाय हे ।।
4. सज्जन पुरूष ओइसने होथे, जइसे होथे रूख ।
ठाड़हे च रहिथे चाहे बारीश होवय के धूप ।।
दूसरेच बर फरथे अऊ फूलथे,
चाहे जिनगी जावय सूख ।।
5. बगुला कइसे ध्यान लगाये हे,
जम्मो इंद्रिल अपन काम म लाये हे ।
अइसने जऊन मनखे अपन काम म मन लगाये हे,
जम्मो सुख ल पाये हे ।।
6. जेन करम के करे म बडे ल नई दे सकय दोस ।
उही करम ल छोटे के करे म उतार देही रोस ।।
7. मुह ले निकले हर भाखा कोई न कोई बात होथे,
कोनो फूलवा के महक त कोनो दिल म अघात होथे ।
8. मोह जम्मो दुख के जर म हे, माया मन हे थांगा म ।
लालच म जेने आये हे, तेने च ह फसे हे फांदा म ।।
.............‘‘रमेश‘‘........................
रमेश जी , प्रशंसनीय - प्रस्तुति ।
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