हे दाई छत्तीसगढ़, हाथ जोड़ परनाम। घात मयारू तैं हवस, दया मया के धाम । दया मया के धाम, सांति सुख तै बगरावत । धन धन हमर भाग, जिहां तो हम इतरावत ।। धुर्रा माटी तोर, सरग ले आगर भाई। होवय मउत हमार, तोर कोरा हे दाई ।।1।। महतारी छत्तीसगढ़, करत हंव गुनगान । अइसन तोरे रूप हे, कइसे होय बखान ।। कइसे होय बखान, मउर सतपुड़ा ह छाजे । कनिहा करधन लोर, मकल डोंगरी बिराजे ।। पैरी साटी गोड, दण्ड़कारण छनकारी । कतका सुघ्घर देख, हवय हमरे महतारी ।।2।। महतारी छत्तीसगढ़, का जस गावन तोर । महानदी शिवनाथ के, सुघ्घर कलकल शोर ।। सुघ्घर कलकल शोर, इंदरावती सुनावय । पैरी खारून जोंक, संग मा राग मिलावय ।। अरपा सोंढुर हाॅफ, हवय सुघ्घर मनिहारी । नदिया नरवा घात, धरे कोरा महतारी ।।3।। महतारी छत्तीसगढ़, सुघ्घर पावन धाम । धाम राजीम हे बसे, उत्ती मा अभिराम ।। उत्ती मा अभिराम, हवय बुड़ती बम्लाई । अम्बे हे भंडार, अम्बिकापुर के दाई । दंतेसवरी मोर, सोर जेखर बड़ भारी। देत असिस रक्सेल, सबो ला ये महतारी ।।4।। महतारी छत्तीसगढ़, तोर कोरा म संत । कतका देव देवालय, कतका साधु महंत ।। कतका साधु महंत, बसय दा