काटा म जब काटा चुभाबे, तभे निकलथे काटा पांव ।
कटे ल अऊ काटे ल परथे, त जल्दी भरते कटे घांव ।।
लोहा ह लोहा ला काटथे, तब बनथे लोहा औजार ।
दुख दुख ला काटही मनखे, ऐखर बर तै रह तइयार ।।
जहर काटे बर दे ल परथे, अऊ जहर के थोकिन डोज ।
गम भुलाय ल पिये ल परथे, गम के पियाला रोज रोज ।।
प्रसव पिरा ला जेन ह सहिथे, तीनो लोक ल जाथे जीत ।
धरती स्वर्ग ले बड़े बनके, बन जाथे महतारी मीत ।।
दरद मा दरद नई होय रे, दरद के होथे अपन भाव ।
दरद सहे म एक मजा होथे, जब दरद म घला होय चाव ।।
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