//नवगीत// दुख के हाथी मुड़ मा बइठे कइसे बिताववं रात टुकुर-टुकुर बादर ला देखत ढलगे हवं चुपचाप न रोग-राई हे न प्रेम रोग हे मैं तो बेटी के बाप कोन सुनही काला सुनावंव अपन मन के बात जतका मोरे चद्दर रहिस हे ततका पांव मारेंव चिरई कस चुन-चुन दाना ओखर मुह मा डारेंव बेटी-बेटा एक मान के पढाय लिखाय हंव घात कइसे कहंव अपन पीरा ल मिलय न लइका अइसे पढ़े-लिखे गुणवान होय मोरे नोनी हे जइसे पढ़ई-लिखई छोड़-छोड़ के टुरा दारू म गे मात जांवर-जीयर बिन बिरथा हे नोनी के बुता काम दूनो चक्का एक होय म चलथे गाड़ी तमाम आंगा-भारू कइसे फांदवं लाके कोनो बरात टूरा अउ टूरा के ददा थोकिन गुनव सोचव पढ़ई लिखई पूरा करके काम बुता सरीखव नोनी बाबू एक बरोबर बाढ़त रहल दिन रात -रमेश चौहान
छत्तीसगढ़ी म भागवत कथा भाग-6.परिक्षित के गर्भ मा रक्षा
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‘छत्तीसगढ़ी म भागवत कथा’ एक महाकाव्य के रूप म लिखे जात हे ऐला धीरे-धीरे
कई भाग म प्रकाशित करे जाही । एला श्रीमद्भागवत अउ सुखसागर आधार ग्रंथ ले के
छत्तीस...
1 हफ़्ते पहले