खाये भर बर तो हस नही, लंबा लबरा जीभ । बोली बतरस मा घला, गुरतुर-गुरतुर नीभ ।। गुरतुर-गुरतुर नीभ, स्वाद दूनों तैं जाने । करू-करू के मीठ, बने कोने ला तैं माने ।। पूछत हवय ‘रमेश‘, मजा कामा तैं पाये । गुरतुर बोली छोड़, मीठ कतका तैं खाये ।।
छत्तीसगढ़ी म भागवत कथा भाग-6.परिक्षित के गर्भ मा रक्षा
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‘छत्तीसगढ़ी म भागवत कथा’ एक महाकाव्य के रूप म लिखे जात हे ऐला धीरे-धीरे
कई भाग म प्रकाशित करे जाही । एला श्रीमद्भागवत अउ सुखसागर आधार ग्रंथ ले के
छत्तीस...
6 दिन पहले