नेता मन के दूध भात हे, बोलय झूठ लबारी । चाहय बैरी दुश्मन बन जय, चाहय त स॔गवारी ।। झूठ लबारी खुद के बिसरय, बिसरय खुद के चोरी । चोर-चोर मौसेरे भाई, करथे सीनाजोरी ।। सरहा मछरी जेन न छोड़े, कान जनेऊ टांगे । खुद एको कथा न जानय, प्रवचन गद्दी मांगे ।। खेत चार एकड़ बोये बर, बनहूं कहय गौटिया । काड़ छानही के बन ना पाये, बनही धारन पटिया ।। दाना अलहोरव सब चतुरा, बदरा बदरा फेकव । बने गाय गरुवा ला राखव, हरही-हरहा छेकव ।। -रमेश चौहान
पुस्तक: मानसिक शक्ति-स्वामी शिवानंद
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मानसिक शक्ति THOUGHT POWER का अविकल रूपान्तर लेखक श्री स्वामी शिवानन्द
सरस्वती
3 माह पहले